अगर आप स्टॉक मार्केट में निवेश करते हैं या इंटरेस्ट रखते हैं, तो Apollo Micro Systems का नाम आपने जरूर सुना होगा। यह कंपनी इलेक्ट्रॉनिक्स और डिफेंस सेक्टर में काम करती है और पिछले एक साल में इसके शेयर ने 84% का शानदार रिटर्न दिया है। हालांकि, पिछले एक महीने में इसमें 5% की गिरावट दर्ज की गई है। आइए, इस स्टॉक के फंडामेंटल्स और ग्रोथ पोटेंशियल को विस्तार से समझते हैं।

FII और DII का बढ़ता विश्वास
जून 2025 के शेयरहोल्डिंग पैटर्न के अनुसार:
- प्रमोटर्स: 50.65%
- FII (विदेशी संस्थागत निवेशक): 6.58% (मार्च 2025 में सिर्फ 0.93% था)
- DII (घरेलू संस्थागत निवेशक): 1.41%
- रिटेल निवेशक: 41.37%
महत्वपूर्ण बात: FII ने पिछली तिमाही में अपनी हिस्सेदारी 5.65% बढ़ाई है, जो कंपनी में बढ़ते विश्वास को दर्शाता है।
फाइनेंशियल परफॉर्मेंस
- रेवेन्यू (Q4 FY24 vs Q4 FY25): ₹135 करोड़ से बढ़कर ₹162 करोड़ (20% की वृद्धि)
- नेट प्रॉफिट: ₹13 करोड़ से ₹14 करोड़ (8% की वृद्धि)
- ऑर्डर बुक: ₹615 करोड़ (मैनेजमेंट का दावा है कि 2026 तक यह तीन गुना हो जाएगा)
भविष्य की योजनाएं
- अगले दो सालों में स्टैंडअलोन रेवेन्यू में 45-50% की CAGR की उम्मीद।
- कंसोलिडेटेड रेवेन्यू FY26 में दोगुना होने का अनुमान।
बिजनेस मॉडल
अपोलो माइक्रो सिस्टम्स मुख्य रूप से डिफेंस सेक्टर में काम करता है, जिसमें मिसाइल सिस्टम, एवियोनिक्स, शिप और सबमरीन टेक्नोलॉजी शामिल हैं। सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल और बढ़ते डिफेंस बजट के कारण इस सेक्टर में ग्रोथ के मजबूत संकेत हैं।
रिस्क फैक्टर्स
- मिड-कैप स्टॉक: शेयर प्राइस में उतार-चढ़ाव आम है।
- सरकारी ऑर्डर पर निर्भरता: डिफेंस कॉन्ट्रैक्ट्स का टाइमिंग अनिश्चित हो सकता है।
- हालिया गिरावट: पिछले एक महीने में 5% की कमजोरी देखी गई है।
निष्कर्ष
अपोलो माइक्रो सिस्टम्स एक हाई-ग्रोथ पोटेंशियल वाला स्टॉक है, खासकर डिफेंस और एयरोस्पेस सेक्टर में इसकी मजबूत मौजूदगी के कारण। FII और DII का बढ़ता निवेश इसकी संभावनाओं को और मजबूती देता है। हालांकि, मिड-कैप होने के कारण इसमें जोखिम भी है। अगर आप लॉन्ग-टर्म नजरिया रखते हैं और डिफेंस सेक्टर में ग्रोथ की उम्मीद करते हैं, तो यह स्टॉक वॉचलिस्ट पर रखने योग्य हो सकता है।
Disclaimer: ऊपर दिए गए विचार और सिफारिशें व्यक्तिगत विश्लेषकों या ब्रोकिंग कंपनियों की हैं, न कि "Finance Ghar" की। हम निवेशकों को सलाह देते हैं कि किसी भी निवेश निर्णय लेने से पहले प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श करें। निवेश में जोखिम होता है और सही जानकारी के बिना निर्णय लेना हानिकारक हो सकता है।